Introduction : दिवाली
दीवाली मुख्यतः भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है, जब उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त की थी। इसके साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं।
दीपावली (संस्कृत: दीपावलिः = दीप + आवलिः = पंक्ति, अर्थात् पंक्ति में रखे हुए दीपक)
शरदृतु (उत्तरी गोलार्ध) में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला एक पौराणिक सनातन उत्सव है।
यह कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है और भारत के सबसे बड़े
और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
आध्यात्मिक रूप से यह ‘अन्धकार पर प्रकाश की विजय’ को दर्शाता है।
भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी पर्वों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक
दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’
अर्थात (हे भगवान!) मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाइए।
यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं।
जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं[7][8]
तथा सिख समुदाय इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है।
माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के
वनवास के पश्चात लौटे थे।[9] अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय
राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था।
श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की
सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी।
तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं।
भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है और असत्य का नाश होता है।
दीपावली यही चरितार्थ करती है- असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय। दीपावली
स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं।
लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत,
रंग-रोगन, सफेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग दुकानों को भी स्वच्छ कर सजाते हैं।
बाजारों में गलियों को भी स्वर्णिम झंडियों से सजाया जाता है।
दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाजार सब स्वच्छ और सजे दिखते हैं।