आज कोई हुनर, कोई रविश, कोई तरीका तो बताओ?
कि दिल टूटे भी न, वो मिले भी न और चैन आ जाए।
जी लेने दो कुछ पल उसके गम के साये में यारों,
वो फिर याद आए हैं शायद, दिल उदास सा लग रहा है।
जीने को तो जी रहे हैं उन के बगैर भी लेकिन,
सजा-ए-मौत के मायूस कैदियों की तरह।
इतना उदास शाम का मंजर कभी न था,
सूरज के साथ डूब गया मेरा दिल भी आज।