एक रात, एक व्रत, अमर सुहाग – करवा चौथ की अनकही बातें

1.वीरावती और उसके भाई

बहुत पुराने समय की बात है, एक नगर में साहूकार का परिवार रहता था। 

2.मायके में करवा चौथ

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को वीरावती मायके उसकी भाभियां आती है।

3.भाईयों का प्रेम

दिनभर उपवास के कारण वीरावती अत्यंत कमजोर  हो जाती है। चांद निकलने में अभी समय शेष है।

4.छल का प्रारंभ

पर वह चांद निकलने से पहले अन्न जल ग्रहण करने को तैयार नहीं होती। छोटे भाई को उपाय सूझता है। 

5.वीरावती की भूल

छल को सच मान वीरावती चांद को अर्घ्य देती है, भक्ति और प्रेम से अपना व्रत खोलती है। 

6.दुख, पछतावा और तपस्या

यह खबर सुन वीरावती सकते में आ जाती है और जोर-जोर से रोती है। उसकी भाभी सच्चाई बताती है। 

7.मां पार्वती और देवी इंद्राणी 

साल भर तक वीरावती चौथ के व्रत करती रही। सखियों और भाभियों को व्रत में आशीर्वाद देती रही

8.पति को मिला नया जीवन

अगले करवा चौथ के दिन, मां पार्वती प्रसन्न होकर वीरावती को वरदान देती हैं और उसके जीवन मिलता है।

9.नए संकल्प, नया व्रत

वीरावती पश्चाताप के साथ मां पार्वती की पूजा और पूरी श्रद्धा से अगले वर्ष फिर करवा चौथ का व्रत करती है।

10.करवा चौथ का संदेश

तब से सुहागिनें करवा चौथ का व्रत पूरी आस्था और नियमों के साथ करती हैं। यह दिन पति की लंबी आयु