कभी तकदीर का मातम कभी दुनिया का गिला उस दोस्ती को भी बचा रहा हूँ अब मैं जहां दोस्त भी मुझे कागज का मिला
मैं कैसे छोड़ दूं तुझे ऐ दोस्त. जब कोई नहीं था, तब तू ही तो था।
बेशक थोड़ा इंतजार मिला हमको, पर दुनिया का सबसे हसीं यार मिला हमको, न रही तमन्ना अब किसी जन्नत की, तेरी दोस्ती में वो प्यार मिला हमको
हम भी जिया करते थे कभी परिंदे जैसी आजादी लेकर फिर एक शख्स आया मोहब्बत की आड़ में, मेरी बर्बादी लेकर!