“करूं क्यों फ़िक्र की मौत के बाद जगह कहाँ मिलेगी, जहाँ होगी मेरे महादेव की महफ़िल मेरी रूह वहाँ मिलेगी।”

“राम भी उसका, रावण भी उसका, जीवन उसका, मरण भी उसका। तांडव है और ध्यान भी वो है,अज्ञानी का ज्ञान भी वो है।”

“अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चांडाल का, काल भी उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का।”

ना पूछो मुझसे मेरी पहचान, मैं तो भस्मधारी हूँ। भस्म से होता जिनका श्रृंगार,मैं उस महाकाल का पुजारी हूँ।”