ना जाने कौन से मोड़ पर ले आई है ये जिंदगी,
ना रास्ता है ना मंजिल है बस जिए जा रहे है!
हालातों ने खो दी इस चहरे की मुस्कान,
वरना जहाँ बैठते थे रौनक ला दिया करते थे!
दिखावा मत कर मेरे शहर में शरीफ होने का,
हम खामोश जरुर है लेकिन नासमझ नहीं!
कभी कभी इन्सान न टूटता है, ना बिखरता है,
बस हार जाता है, कभी किस्मत से, तो कभी अपनों से!