मेरे शब्दो को इतने ध्यान से ना पढा करो दोस्तो, कूच याद रह गया तो मुझे भूल नही पाओगे

किनारो पे सागर के खजाने नही आते, जीवन मे दोस्त पुराने नही आते, जी लो in पलो को हस के जनाब, फिर लौट के दोस्ती के जमाने नही आते

दोस्तों और दुश्मनों में किस तरह तफ़रीक़ हो दोस्तों और दुश्मनों की बे-रुख़ी है एक सी

एक ताबीज़ तेरी मेरी दोस्ती को भी चाहिए… थोड़ी सी दिखी नहीं कि नज़र लगने लगती है.