दुआ भी तुम मन्नत भी तुम दिल-ए-जन्नत का नूर इबादत भी तुम कैसे ना करें बेपनाह इश्क़ तुमसे जब मेरे खुदा का दुआ हुआ सबसे हसीन तोहफ़ा हो तुम
बदलते नही जज्बात मेरे रोजाना तारीखों की तरह!! बेपनाह इश्क़ करने की ख्वाहिश मेरी आज भी है
बेइंतहां इश्क़ ने, बेपनाह रुलाया है, तब जाकर आँखों ने, ये नूर पाया है
मेरी हर खुशी हर बात तेरी है, सांसों में छुपी ये सांस तेरी है, दो पल भी नहीं रह सकते तेरे बिन, धड़कनों की धड़कती हर आवाज तेरी है