Sanjay Passi: छोटे से परिवारिक बिजनेस से 2690 करोड़ के ऑटोमोबाइल एम्पायर तक की प्रेरणादायक कहानी
Sanjay Passi: छोटे से परिवारिक बिजनेस से 2690 करोड़ के ऑटोमोबाइल एम्पायर तक की प्रेरणादायक कहानी
Sanjay Passi: जानिए कैसे संजय पासी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के बाद अपने पिता के टाटा मोटर्स डीलरशिप बिजनेस को संभालकर पास्को ग्रुप को 2690 करोड़ रुपये के कारोबार में बदल दिया। उनकी मेहनत, लगन और दूरदृष्टि की पूरी कहानी।
संजय पासी: साधारण शुरुआत से 2,690 करोड़ की कंपनी तक का सफर

परिचय
Sanjay Passi आज उत्तर भारत के सबसे सफल बिजनेसमैन में गिने जाते हैं। वे पास्को ग्रुप (Pasco Group) के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, जिसकी पहचान देश की प्रमुख ऑटोमोबाइल डीलरशिप कंपनियों में होती है। लेकिन उनका सफर एक बिल्कुल सामान्य परिवार से शुरू हुआ था, जहां सिर्फ मेहनत, लगन और बड़ा सोचने का जज़्बा था।
बचपन और शिक्षा
- संजय पासी का जन्म दिल्ली में हुआ था।
- उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम (ऑनर्स) की डिग्री हासिल की।
- पढ़ाई के दौरान ही उनके मन में कुछ बड़ा करने की इच्छा थी।
करियर की शुरुआत
- पढ़ाई पूरी करने के बाद, 1989 में उन्होंने अपने पिता के टाटा मोटर्स डीलरशिप बिजनेस को संभाल लिया।
- शुरुआत में यह बिजनेस सिर्फ एक मोटर डीलरशिप था, लेकिन संजय ने इसे एक बड़े बिजनेस एम्पायर में बदलने का सपना देखा।
पास्को ग्रुप की ग्रोथ
- पास्को ग्रुप की स्थापना 1967 में हुई थी, लेकिन असली उड़ान संजय पासी के नेतृत्व में मिली।
- उन्होंने न सिर्फ टाटा मोटर्स की डीलरशिप को बढ़ाया, बल्कि मारुति सुजुकी और JCB जैसी कंपनियों की डीलरशिप भी शुरू की।
- आज पास्को ग्रुप का टर्नओवर 2,690 करोड़ रुपये है और यह देश की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल डीलरशिप कंपनियों में गिनी जाती है।
सफलता के राज़
- संजय पासी हमेशा मीडिया की चकाचौंध से दूर रहते हैं और अपने काम पर फोकस करते हैं।
- वे मानते हैं कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।
- अपने कर्मचारियों को भी वे आगे बढ़ने और जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित करते हैं।
पर्सनल लाइफ
- संजय पासी की पत्नी शालिनी पासी जानी-मानी आर्ट कलेक्टर और सोशलाइट हैं।
- उनका एक बेटा है, रॉबिन पासी।
- संजय पासी का नाम अक्सर सुर्खियों में आता है, लेकिन वे अपनी निजी जिंदगी को लो-प्रोफाइल रखना पसंद करते हैं।
समाज सेवा और सम्मान
- संजय पासी ने तिरुमला तिरुपति मंदिर में 10 करोड़ रुपये का दान दिया था, जिससे उनकी सामाजिक जिम्मेदारी भी झलकती है।
- उन्हें “बेस्ट एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर” और “आयकर रत्न” जैसे कई सम्मान मिल चुके हैं।
निष्कर्ष
संजय पासी की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों, मेहनत और ईमानदारी से काम किया जाए, तो कोई भी सपना हकीकत बन सकता है। उन्होंने एक छोटे से पारिवारिक बिजनेस को देश की टॉप ऑटोमोबाइल डीलरशिप कंपनी में बदलकर यह साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत और दूरदृष्टि ही असली सफलता की चाबी है