Chaitra Navratri 2025 : इस बार कितने दिन की होगी चैत्र नवरात्रि जानिए यहां
Chaitra Navratri 2025 : इस बार कितने दिन की होगी चैत्र नवरात्रि जानिए यहां
Chaitra Navratri 2025 : चैत्र नवरात्रि का पर्व एक विशेष अवसर होता है, जब हम मां दुर्गा की पूजा करके
अपने जीवन को शुद्ध और समृद्ध बना सकते हैं। इस दौरान व्रत रखने से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है,
चैत्र मास की नवरात्रि: एक दिव्य पर्व
चैत्र मास की नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है,
जो प्रत्येक वर्ष मार्च-अप्रैल के महीने में मनाया जाता है।
यह पर्व विशेष रूप से माँ दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है।
इस पर्व का आयोजन भारत में विभिन्न रूपों में होता है, जहाँ लोग उपवासी रहकर साधना करते हैं
और माँ दुर्गा के आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं।
नवरात्रि महापर्व के दौरान भक्त विशेष अनुष्ठान, व्रत, और पूजा करते हैं।
यह महापर्व शक्ति, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, जो समाज में एकता और धार्मिकता को बढ़ावा देता है।
नवरात्रि महापर्व में रात्रि जागरण, गरबा, और दुर्गा सप्तशती का पाठ भी विशेष रूप से किया जाता है।
Chaitra Navratri 2025

चैत्र नवरात्रि 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
30 मार्च से 7 अप्रैल तक मनाई जाएगी।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 30 मार्च को सुबह 06:15 से 10:30 बजे तक है।
यह नवरात्रि मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का पावन समय है।
इस दौरान व्रत, पूजा और हवन का विशेष महत्व है। राम नवमी 7 अप्रैल को मनाई जाएगी।
चैत्र नवरात्रि 2025: नवदुर्गा के नौ रूपों की पूजा

मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विशेष महत्व है।
प्रतिपदा से नवमी तक क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता,
कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
हर दिन अलग रंग और फूलों से मां को प्रसन्न किया जाता है।
यह आध्यात्मिक उन्नति का समय है।
चैत्र नवरात्रि 2025: घटस्थापना और कलश पूजन
Chaitra Navratri 2025

नवरात्रि 2025 में घटस्थापना और कलश पूजन का विशेष महत्व है।
30 मार्च को सुबह 06:15 से 10:30 बजे तक घटस्थापना का शुभ मुहूर्त है।
इस दिन मिट्टी के कलश में जल भरकर उसे मां दुर्गा का प्रतीक माना जाता है।
कलश पर नारियल और आम के पत्ते रखकर पूजा की जाती है।
यह नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक है।
चैत्र नवरात्रि 2025: मां दुर्गा के प्रत्येक दिन का महत्व
Chaitra Navratri 2025

मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है।
प्रत्येक दिन देवी के अलग स्वरूप की आराधना की जाती है—शैलपुत्री से सिद्धिदात्री तक।
यह नौ दिन आत्मशुद्धि, साधना और शक्ति संचय का प्रतीक हैं।
व्रत, पूजन और ध्यान से भक्तों को सुख, समृद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
चैत्र नवरात्रि 2025: व्रत और उपवास के नियम

व्रत और उपवास के नियमों का पालन करना शुभ माना जाता है।
व्रत के दौरान सात्विक भोजन, फल, दूध और सिंघाड़े के आटे का सेवन किया जाता है।
लहसुन, प्याज और अनाज से परहेज किया जाता है।
नियमित पूजा, मंत्र जाप और दुर्गा सप्तशती पाठ का विशेष महत्व है।
व्रत करने वाले व्यक्ति को शुद्धता और संयम बनाए रखना चाहिए।
चैत्र नवरात्रि 2025: नवरात्रि में रंगों का महत्व
Chaitra Navratri 2025

प्रत्येक दिन अलग रंग का विशेष महत्व होता है।
पहले दिन पीला, दूसरे दिन हरा, तीसरे दिन ग्रे, चौथे दिन नारंगी, पांचवें दिन सफेद, छठे दिन लाल,
सातवें दिन रॉयल ब्लू, आठवें दिन गुलाबी और नवमी दिन बैंगनी रंग शुभ माना जाता है।
ये रंग मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित हैं और शुभता लाते हैं।
चैत्र नवरात्रि 2025: दुर्गा सप्तशती पाठ का विधान
Chaitra Navratri 2025

दुर्गा सप्तशती पाठ का विशेष महत्व है।
यह पाठ मां दुर्गा की महिमा और शक्ति का वर्णन करता है।
इसे नवरात्रि के दौरान नियमित रूप से पढ़ने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को साफ करें।
पाठ के बाद आरती करना शुभ माना जाता है।
चैत्र नवरात्रि 2025: कन्या पूजन और हवन

कन्या पूजन और हवन का विशेष महत्व है।
अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है।
उन्हें भोजन और उपहार देकर आशीर्वाद लिया जाता है।
हवन में घी, जौ, तिल और विशेष मंत्रों के साथ आहुति दी जाती है, जो शुभ फल देती है।
चैत्र नवरात्रि 2025: राम नवमी का विशेष महत्व

राम नवमी का विशेष महत्व है।
यह दिन भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो नवमी तिथि को पड़ता है।
इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा, भजन और कीर्तन का आयोजन होता है।
रामायण पाठ और रामचरितमानस का पाठ करना शुभ माना जाता है।
यह दिन भक्ति और आस्था का प्रतीक है।
चैत्र नवरात्रि 2025: नवरात्रि समापन और विसर्जन

7 अप्रैल को राम नवमी के साथ होगा।
इस दिन कलश और मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।
विसर्जन के दौरान भक्ति गीत और आरती के साथ मां दुर्गा को विदाई दी जाती है।
यह समापन नवरात्रि के पावन उत्सव का अंतिम चरण होता है,
जो आस्था और उत्साह से भरा होता है।